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आरबीआई की दर वृद्धि पर लगा विराम

reserve bank imposed rest on the increased rates



16 दिसम्बर 2011

मुम्बई।  भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वर्ष 2010 के प्रारम्भ से प्रमुख दरों में 13 बार वृद्धि करने के बाद विकास दर को बढ़ावा देने की कोशिश के तहत शुक्रवार को अपनी प्रमुख दरों में कोई वृद्धि नहीं की जबकि वार्षिक मुद्रास्फीति दर घटने से भी थोड़ी राहत मिली है।

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा पेश करते हुए एक बयान में कहा, "जहां मुद्रास्फीति अनुमानित बनी हुई है, वहीं विकास दर के नीचे जाने का खतरा स्पष्टरूप से बढ़ गया है।"

बयान में कहा गया है, "दूसरी तिमाही का मार्गदर्शन यह था कि सम्भावित मंहगाई के आधार पर, दरों में और वृद्धि की सम्भवत: जरूरत नहीं पड़ेगी। वृद्धि दर की गति सुस्त पड़ने और विकास दर के नीचे जाने के अतिशय खतरे को देखते हुए यह मार्गदर्शन दोहराया जा रहा है।"

इसलिए रेपो दर 8.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनी हुई है। जबकि रिवर्स रेपो दर 7.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनी हुई है।

आरबीआई, नकद आरक्षी अनुपात पर छह प्रतिशत की यथा स्थिति भी बरकरार रखे हुए है। नकद आरक्षी अनुपात वह धनराशि होती है, जिसे आरबीआई अपने पास सुरक्षित रखता है। इसका इस्तेमाल आरबीआई अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह बनाए रखने के लिए करता है।

आरबीआई ने यह भी कहा है कि इस बिंदु के बाद से अब इस चक्र को विपरीत दिशा में मोड़ने का प्रयास किया जाएगा। इसका प्रभावी अर्थ यह होता है कि उद्योग जगत आगामी महीनों में ब्याज दरों के कम होने की आशा कर सकता है।

आरबीआई के गवर्नर डी.सुब्बाराव ने यहां संवाददाताओं के साथ बातचीत में हालांकि कहा कि वह अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कह सकते कि आरबीआई दरों को घटाने का सिलसिला कब शुरू करेगा।

केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने दरों को अपरिवर्तित बनाए रखने के आरबीआई के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि इससे विकास दर में गिरावट को लेकर गवर्नर की चिंता जाहिर होती है।

मुखर्जी ने दिल्ली में कहा, "मौजूदा वित्त वर्ष के बाकी महीनों में विकास दर में तेजी लाने तथा व्यापारिक भावना में सुधार के लिए मौजूदा मौद्रिक नीति के रुख की समीक्षा आवश्यक थी।"

यह मौद्रिक समीक्षा ऐसे समय में सामने आई है, जब देश की वार्षिक मुद्रास्फीति दर नवम्बर में गिरकर 9.1 प्रतिशत पर आ गई। दूसरी ओर तीन दिसम्बर को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति की दर गिर कर 4.35 प्रतिशत पर पहुंच गई।

लेकिन यहीं पर कारखाना उत्पादन की दर में अक्टूबर में नकारात्मक गिरावट देखी गई और यह शून्य से 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। वहीं मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर मात्र 6.9 प्रतिशत रही। यह दो वर्षो में जीडीपी का सबसे निम्न स्तर रहा।

आरबीआई ने कहा है कि मार्च के अंत तक के लिए वार्षिक मुद्रास्फीति की दर से सम्बंधित उसका अनुमान सात प्रतिशत बरकरार है।

 

 

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